रिपोर्ट पीयूष कुमार प्रियदर्शी
हवेली खड़गपुर
प्रतिभा और लगन उम्र की मोहताज नहीं होती। इसका उदाहरण हैं खड़गपुर के कन्या मध्य विद्यालय के समीप मोहल्ले में रहने वाले 15 वर्षीय छात्र राजवीर, जिन्होंने इस वर्ष नवरात्र के अवसर पर अपने घर में मां शेरावाली की आकर्षक प्रतिमा तैयार की है।
राजवीर हेब्रोन मिशन स्कूल में कक्षा 10 के छात्र हैं और पेंटिंग व कला के क्षेत्र में विशेष रुचि रखते हैं। उन्होंने 8 से 10 दिन की कड़ी मेहनत कर पुआल, फेविकोल, मिट्टी और विभिन्न रंगों का प्रयोग करते हुए प्रतिमा को साकार किया। इस बार प्रतिमा को सोने-चांदी के आभूषणों से अलंकृत कर श्रृंगारित किया गया है, जो देखने वालों को भक्ति और श्रद्धा से भर देता है।

यह पहला अवसर नहीं है जब राजवीर ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया हो। इससे पूर्व वर्ष 2024 में उन्होंने अयोध्या में स्थापित भगवान राम की प्रतिमा और मुंगेर के शादीपुर स्थित बड़ी दुर्गा महारानी की प्रतिमा के स्वरूप की मिट्टी की मूर्ति भी बनाई थी। विशेष रूप से शादीपुर की बड़ी दुर्गा महारानी की प्रतिमा हर साल एक ही स्वरूप में बनती है और पूरे बिहार ही नहीं, बल्कि देशभर में प्रसिद्ध है। इस प्रतिमा को आधार बनाकर राजवीर ने अपनी कला को और निखारा।

राजवीर बताते हैं कि वे छह साल की छोटी उम्र से ही प्रतिमा निर्माण का कार्य करते आ रहे हैं। मूर्तियों को जीवंत बनाने के लिए वे ऑनलाइन माध्यम से जानकारी लेते हैं और आवश्यक सामग्री स्थानीय बाजार से जुटाते हैं।
उनके अधिवक्ता पिता जयप्रकाश साह, माता और बहन ने हमेशा उनका प्रोत्साहन किया है। परिवार का यही सहयोग उन्हें कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उनकी मेहनत और रचनात्मकता को देखकर न केवल परिवार, बल्कि समाज के लोग भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
बीते वर्ष उन्होंने मुंगेर की बड़ी दुर्गा महारानी प्रतिमा के साथ ही अपनी बनाई प्रतिमा का भी विसर्जन किया था। इस बार उनकी मां शेरावाली की प्रतिमा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है और लोग उनकी प्रतिभा की खूब सराहना कर रहे हैं।
राजवीर की यह कला न केवल उनकी मेहनत और लगन का प्रमाण है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी कि सच्ची लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।